सितारा

भावनाओ के समदंर मे डूब गया था वो 
लहरे पार करने की हिम्मत ना कर सका 
आसां लगा उसे मौत को गले लगाना 
दरिया के बीच मे ही समदंर मे डूब जाना

कोई रोक ना सका बहती हुई कश्ती को 
जो भावनाओ के बोझ ले खडी थी 
लडखडाके संभल ना सकी वो 
आसां लगा उसे लडखडाके डूब जाना 

अब और क्या दुआ कर सकते हम 
जन्नत ए सुकून मील जाए तुम्हे
कोई एक खास जगह चमकने की 
सीतारो मे मिलजाए तुम्हे 
     ©® डॉ सुजाता कुटे
Reactions

टिप्पणी पोस्ट करा

0 टिप्पण्या